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English

आरती

आचार्य सतगुरू टेऊँराम जी महाराज


ॐ जय गुरू टेऊँराम, स्वामी जय गुरू टेऊँराम।
पर उपकारी जगत उद्धारी, तुम हो पूरन काम॥ॐ॥

१.जब जब प्रेमिनि निज हित कारण, तुमको पूकारा ॥स्वामी॥
तब तब गुरू अवतार धरे तुम, सबको निस्तारा॥ॐ॥

२.प्रेम प्रकाशी मण्डलाचार्य, मंत्र साक्षी सत्नाम ॥स्वामी॥
धर्म सनातन के प्रचारक, नीति निपुण अभिराम ॥ॐ॥

३.देश विदेश में मण्डली लेकर पावन दे उपदेश ॥स्वामी॥
आत्म रूप लखाया सबको, हरिया ताप क्लेश॥ॐ॥

४.पूरण अचल समाधी तेरी, सिद्ध आसन बाजे ॥स्वामी॥
रूप मनोहर सुन्दर लोचन, देखत मन राजे ॥ॐ॥

५.आत्म स्थित वचन के पूरे, योगी इन्द्रिय जती ॥स्वामी॥
परम उदारी धीरज धारी, परम अगाध मती ॥ॐ॥

६.धन धन मात पिता कुल तेरा, धन तव साधु सुजान ॥स्वामी॥
धन वह देश जहाँ तुम जन्मिया, धन तव शुभ स्थान ॥ॐ॥

७.सुर नर मुनि जन हरिजन गुनिजन, गावन गुन तुम्हरे ॥स्वामी॥
अंत न पाइ सके नर कोई, महिमा अपर परे ॥ॐ॥

८.जो जन तुम्हरी आरती गावे, पावे सो मुक्ती ॥स्वामी॥
साध संगति को हरदम दीजे, पूरण गुरू भक्ती ॥ॐ॥




©Prem Prakash Ashram,Adarsh Nagar,Ajmer