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सोलह शिक्षाएं


दोहा:- सोलह शिक्षाएं सुनो, सुखदायक हैं जोय।
कह टेऊँ संकट कटे, देत परम गति सोय॥

1. आदि फल वीचार के तुम, कर पीछे सब काम जी।
ये वचन मन माहिं धारे, पाय सुख आराम जी।

2. उद्यम कर शुभ कर्म कारण, सीख ये ही सार है।
भाग कर कछु नाहिं राखो, वेद ग्रंथ पुकार है ॥

3. समय का अति कदर करना, खोइये न कुसंग में।
जो बचे व्यवहार से, सो सफल कर सत्संग में॥

4. सर्व से तुम गुण उठााओ, दोष दृष्टि को हरे।
देख अवगुण आपना, जो बहुत है मन में भरे ॥

5. सर्व जीवों से करो हित, निन्द किसकी न करो।
ना बुरा चाहो किसी का, भाव शुद्ध हृदय धरो ॥

6. जीव किसको ना दुखाओ, दया सब पर कीजिये।
राम व्यापक जान सबमें द्वेष को हर लीजिये॥

7. समय जोई गुजर जावे, याद ना तुम ताहिं कर।
आने वाले वक्त की भी, चिन्ता मन में नाहिं कर ॥

8. जो बनाने ईश्वर तुम, ताहिं पर राजी रहो।
जो बनी सा है भली सब, यों सदा मुख से कहो॥

9. आपने स्वार्थ लिये तुम, झूठ ना कब बोलना।
वचन साचा मधुर हो जब, तबहिं मुख को खोलना॥

10. शरण तेरी आय जोई, ताहिं दे सन्मान जी।
यद्यपि वैरी होय तो भी, ना करो अपमान जी॥

11. और का उपकार कर तुम, छोड स्वार्थ आपना।
लोक पुनि परलोक में कब, हाये तमको ताप ना॥

12. धर्म अपने माहिं हरदम, प्यार कर नाटना नही।
सीस जावे जान दे पर, धर्म से हटना नही॥

13. मौत अपना याद कर ले, तिंह भुलावो ना कभी।
जान मन में मरण का दिन, निकट आया है अभी ॥

14. धर्मशाला जान जग को, जीव सब महिमान है।
मोह किससे ना करो, सब स्वप्न सम सामान है॥

15. वेद गुरू के वचन पर नित, तुम करो विश्वास जी।
अटल श्रद्धा धार मन में, भ्रम कर सब नास जी॥

16. आदि मंतर ले गुरू से , जाप जप धर ध्यान को।
जगत बंधन तोड़ विचरो, पाय आतम ज्ञान को॥

दोहा:- ये शिक्षाएं याद कर, मन में पुनि वीचार।
कह टेऊँ करनी कर, भव निधि उतरो पार॥


©Prem Prakash Ashram,Adarsh Nagar,Ajmer